एक
विशाल छवि, व्यक्तित्व की
एक सरल ह्रदय, वात्सल्य का
एक गुरूर, स्वाभिमान का
एक समर्पण, आतिथ्य का
त्याग, सुकून का, संघर्ष, बलिदान का
कितना अभिमान, मुझे उन पर
कितना गर्व, मुझे उनका अंश होने पर
दिल, दर्पण-सा, चेहरा, रूआब का
भाव, अपनत्व का, प्यार, अमरत्व का
एक-एक पल उनके साथ का
मेरी हर सफलता में हाथ, आशीर्वाद का
एक आवाज, बुलंद-सी
एक शख्सियत, मिलनसार-सी
एक क्षमता, नेतृत्व की, एक दिल, मासूम-सा
एक बार भी नजरें मिलाने का, साहस नहीं मुझ में
वो कहानियाँ सुनाते मेरे पिता, हिम्मत की
मेरे पैर बाँधे, अपने पैरों में
मैं खामोश मगर उत्सुक और वो
ना जाने कैसे जान लेते, मेरी मन इच्छाओं को
मेरे माँगने से पहले, हाजिर कर
मेरे प्रश्न से पहले, उत्तर दे कर
मेरे गुस्से में, प्यार दे कर, मेरे रोने में, सिफारिश कर
मुझे खुशियाँ, स्व-गम भूलकर
बस ! देते गए प्रेरणायें, अच्छे की
स्वछन्द उड़ान भरता मैं, उनके खुले आसमान में
लाख दर्द सहकर भी, एक शिकन तक
ना आने दी, अपने चेहरे पर
कितना विशाल ह्रदय है उनका
परमेश्वर साक्षात्-सा
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