'मीत - आखिरी हमसफ़र' मेरी कल्पनाओं का वह साथी है जो मेरे जीवन का पहला नहीं, बल्कि आखिरी है। अधिकतर काव्य रचनाओं को मैंने 'मीत' पर ही केन्द्रित करने का प्रयास किया है। मेरी स्वच्छन्द परिकल्पनाओं में 'मीत' हमेशा ही मेरा साथी रहा है। मेरी अधिकतर रचनाएँ अखबार व मैगजीन में प्रकाशित हो चुकी हैं।
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