एक
बानगी, चंद शब्दों की
एक
मंजर, चंद लम्हों का
एक
लेखनी, लिए हाथों में
हर बार
ही कर, उलट - पुलट
उन चंद
लम्हों को, शब्द दे कर
बना दी
जाती है, एक कविता
गर
उलटे हों शब्द, तो दुखमय मन
कोई
रंज याद दिला देता
जो
जुड़े शब्द सीधे - सीधे
मन
ख़ुशी समझ, खुश हो जाता
ये समझ
है कि नासमझी
जो
दिखाती है रंज - ओ - ख़ुशी
बस चंद
शब्दों का फेरबदल
जो मन
में छल पैदा कर जाता
मन
भाव, कितने सुखद - दुखद
इक छंद
बदलते, बदल जाता
कुछ नए
लम्हों के जुड़ने से
शब्दों
का भाव बदल जाता
कोई
हंसी - ख़ुशी, कोई व्यंग - बाण
कोई
उन्मुक्त भाव को दर्शाता
बस
शब्दों का ही फेरबदल
जो एक
और कविता बना जाता
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