Wednesday, August 28, 2013

बहन (राखी)





मेरी बहन, बडी प्यारी बहन
कोई बडी मुझसे, कोई छोटी बहन

कितने गर्व से कहती है, मुझे भाई अपना
और मुझसे ही हमेशा, उसका झगडना
कितना सुनहरा बचपन, बीत गया अपना
ना जाने कैसे सीख गई, वो घर सजाना

हर बार जमाती धौंस अपनी मुझ पर
कहती थी, चली जाऊँगी तुझे छोडकर
तू रोयेगा मगर मैं आऊँगी नहीं
ढूँढेगा मुझे पर मिलूँगी नहीं

फ़िर ना जाने क्यों वो बडी हो गई
और एक दिन मुझे छोडकर चली गई
वो रोई खूब, मैं भी रोया जमकर
और जमा गई अपनी धौंस मुझ पर

कभी सोचता था कब जायेगी यह
अब सोचता हूँ क्यों चली गई वह
सीधी-सी, सरल-सी, प्यारी-सी बहन
मेरी दीदी, मेरी जीजी, मेरी नन्ही-सी बहन

अब मिलती है रक्षाबन्धन पर मुझसे
बाँधती है राखी कलाई पर दिल से
उस हर पल, जब रहती है मेरे पास बहन
करता हूँ झूठी कोशिशें, जीने की बचपन

गर दिया खुदा ने, मुझे फ़िर जीवन
तो लौटेगा मेरा, फ़िर से बचपन
तब माँगूँगा मैं उससे, मेरी बहन
चाहे लाख झगडे, कर लूँगा सहन

क्योंकि किस्मत वालों को ही, मिलती है बहन



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