तूफ़ान-सा
उठेगा, आँधियाँ जो थम गई तो
संसार
जल उठेगा, भारत जो हिल उठा तो
वो
'अंग्रेज' भाग उठे थे, इतिहास जानता है
अखिल
विश्व के गुरू हैं हम, ये विश्व मानता है
कर
देंगे धूल में दफ़न, धैर्य जो टूटा तो
मत
'शेर' को सताओ तुम, रूँद जाओगे पैरों तले
मत
छीनो हमारा अमन, बुझ जाओगे जले-जले
'भस्म'
हो जाओगे गर मेरी, नजरें जो उठ गई तो
इक
'शाख' तो हिलती नहीं, 'वट-वृक्ष' काटने चले
'फूँक'
में तो दम नहीं, 'जड़' उखाड़ने चले
'नाम'
मिटा देंगे तेरा, 'भुज' जो तन उठी तो
करते
अमन की प्रार्थना, तुम्हें भी मिले शांति
'रक़्त'
रग़ में 'भारतीय', 'माँ' हमारी 'भारती'
'दम'
दिखा देंगे तुम्हें, खून-खौल उठा तो
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